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फिर सावन आ गया

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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शिव जी को जल चढ़ाने फिर से सावन आ गया है।
मेरे मन को मेघ बन के फिर बरसना भा गया है॥

शिव को सावन मास भाये और भायें वर्षा बूँदें,
भक्त लीन हैं भक्ति में अब अपनी पलकें मूंदें।
हर कोई अभिषेक करने मंदिर में आ गया है,
शिव जी को जल चढ़ाने फिर से…॥

सावन मास पार्वती ने अन्न-जल त्याग दिया था,
चुना कठिन जीवन को अति कठोर तप किया था।
शिव प्रसन्न थे सावन में तब से ही मन भा गया है,
शिव जी को जल चढ़ाने फिर से…॥

सावन के जप-तप से शिव गौरा ब्याह हुआ था,
शिव शक्ति मिलने से सब जग कल्याण हुआ था।
भाग जागे मैना हिमालय शिव जमाई आ गया है,
शिव जी को जल चढ़ाने फिर से…॥

शिव पूजन सावन में शिव जी की कृपा दिलाए,
सावन में शिव की भक्ति जीवन के कष्ट मिटाए।
जिसके प्राण शिव कह छूटें शिवधाम आ गया है,
शिव जी को जल चढ़ाने फिर से…॥

अल्प मृत्यु को हर लेता शिव का मृत्युंजय मंत्र,
कालों के काल के वश सब कुछ है सारे तंत्र।
यमराज नतमस्तक जो शिव भक्ति पा गया है,
शिव जी को जल चढ़ाने फिर से…॥

अपने नेत्रों के जल से मैं शिव अभिषेक करूं,
जो कुछ है उनका दिया है उससे ही भक्ति करूं।
‘शिवदासी’ वंदना मन शिव-प्रेम छा गया है,
शिव जी को जल चढ़ाने फिर से सावन आ गया है…।
मेरे मन को मेघ बन के फिर बरसना भा गया है॥