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फूलों की बगिया

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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वादियाँ ही रंग-बिरंगे फूलों से सजी, महकती सुबह है…,
पंछियों की मधुर मीठी तान से वो सुशोभित सी है…।

बंद कलियों की भी खुद की अपनी एक मुस्कान है…,
सुनहरी धूप में खिलकर अंगड़ाइयाँ लेना भी एक कला है…।

जीवन में हार ना मानना, आगे बढ़कर कुछ हासिल करना है…,
कलियों से सीख लेकर जीवन भी अपना बदलना है…।

दिन भर ताजगी का एहसास, कलियों से इनको देख भरना है…,
कठिन डगर में भी हमें विचलित नहीं होना है…।

ज़िंदगी के सफ़र में सुख और दु:ख का आना-जाना है…,
कठिनाइयों से मत घबराओ, यह जीवन में एक हवा का झोंका है…।

आओ धीरज धरना सीखकर एक परिवर्तित जीवन सजाएं…,
सभी को खुशियाँ बांटें और लताओं की तरह गले मिल जाएं…।

काम आएं एक-दूजे के, और चमन में शांति फैलाएं…,
किसी का दिल न दुखे हमसे, आज संकल्प वान बन जाएं…॥