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फैशन के रंग

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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फैशन के इस सागर में,
राह नहीं मिल रही है
तभी तो पश्चिमी सभ्यता को
हमने अपना लिया
यही है फैशन के रंग।

रंग बदलती इस दुनिया में,
यहाँ क्या-क्या हो रहा है ?
एक और जद्दोजहद करते हम,
दूसरी और फैशन के यह रंग।

हमारी संस्कृति में दुनिया के,
यह विभिन्न रंग
कहीं धूप, कहीं छाँव का यह संग,
दूसरी और फैशन के यह रंग।

शर्म ना जाने कहाँ खो गई,
आजाद अभिव्यक्ति जवां हो गई
कोई नहीं समझने वाला।
अब पश्चिमी सभ्यता हावी हो गई,
तभी दिख रहे फैशन के यह रंग॥