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फौज गिद्धों की

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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निरीहों से कई प्लेट सजी है
हड्डी, मांस, चीथड़े से भरी है,
महकते रक्त की गंध भांपकर
फ़ौज गिद्धों की उमड़ पड़ी है।

बाहुबल का तीव्र चलन है
खेमे तोड़ने गिद्ध बहुत हैं,
जहां मिलेगा मांस देखकर
जोड़-तोड़ की कश्मकश है।

नन्हें गिद्ध भी पके रखे हैं
सयाने के तो भाव बढ़े हैं,
चीथड़े में सिसकती जानें
मृत्यु का इंतजार करे हैं।

पाँच वर्ष तक लुटती प्लेटें,
जिंदा मांस को… भी न बख्शे,
होती खूब दावत चटपटी।
नए क्षेत्र फिर गिद्ध निकल ले॥