राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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नफरत की गाड़ी दौड़ पड़ी है,
देखो प्यार हो गया है लंगड़ा
सत्य खड़ा है बनकर बछड़ा,
असत्य बना है मोटा-तगड़ा।
छा गया है अंधेरा यहाँ,
उजाला दम तोड़ रहा है
राजनीति से नीति गायब,
स्वार्थी दानव दौड़ रहा है।
दहल गया है आज दंगे से,
बंगाल नहीं जैसे बांग्लादेश
कुर्सी भी यहाँ मौन पड़ी है,
विपक्ष का भी न कोई संदेश।
जागो जनता अब तो जागो,
हिन्दू-मुस्लिम से ऊपर भागो
स्वार्थी बंधनों को अब तोड़ो,
मनुष्यता से अब नाता जोड़ो।
जाग गए तो होगा सवेरा,
वरना छा जाएगा अंधेरा
मानवता यही बोल रही है,
बंगाल आज दहल रहा है॥
परिचय-साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।