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बचपन के खेल

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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प्यार से बचपन की तस्वीर को देखा,
बीता अपना सलोना बचपन टटोला
अनगिनत खेलों में खुशियों को खोजा,
गेंद गिट्टे,ऊँच-नीच का पापड़ा,पाया।

स्टापू के साथ-साथ रस्सा उछाला,
लुका-छिपी,कबड्डी व पिट्ठू गरमाया
डन्डे से गिल्ली को भी हम साथियों ने,
आखिरी गली तक खूब नचाया।

कैरम को क्रिकेट मैदान बनाया,
शतरंज पे राजा-वज़ीर दौड़ाया
गुड्डे-गुड़िया का ब्याह रचाया,
फिरकी को भी खूब घुमाया।

रेत में सुन्दर घर बनाया,
बारिश के पानी में जश्न मनाया
लूडो में सीढ़ी ने ऊपर पहुँचाया,
साँप ने काट फिर नीचे गिराया।

हरा-सा पत्ता पान का पत्ता संग,
पोशम-पा भी जी भरकर खेला।
याद करके प्यारे बचपन को,
हर्फों से कागज़ पर बिखराया॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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