कुल पृष्ठ दर्शन : 28

You are currently viewing बढ़ता है तब भार

बढ़ता है तब भार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

बढ़ती जब जनसंख्या, बढ़ता है तब भार।
हो जाती हर योजना, तब निश्चित बेकार॥

बढ़ता है जन भार जब, दुख पाता परिवार।
सभी तरह से देश में, फैले तब अँधियार॥

दोपहिया पर बैठ जब, एकसाथ परिवार।
कहे सुरक्षा आ रहा, दुर्घटना का वार॥

ध्यान रखें जो वे रहें, सड़कों पर अनुकूल।
बिना कायदे जो रहें, चुभते उनको शूल॥

सड़कों पर खिलवाड़ तो, लेती जीवन लील।
बहुत कीमती ज़िन्दगी, करो ज़रा तुम फील॥

लापरवाही त्याग दो, वरना तय है काल।
होगा तुमको हर कदम, वरना ‘शरद’ मलाल॥

नियम सदा हित को रचें, उन्हें मान नहिं व्यर्थ।
डरो रोड कानून से, समझो उसका अर्थ॥

मन में धरकर जोश तुम, गँवा न देना होश।
वरना विधि या मौत तो, भर लेंगी आगोश॥

होगा जब सीमित यहाँ, हर इक का परिवार।
तभी प्रखर प्रतिकूलता, का होगा संहार॥

दोपहिया की नहिं अधिक, होती है औकात।
दो ही बैठेंगे अगर, बचे रहोगे तात॥

अर्थहीन गति-मति तजो, जाये वरना जान।
आँसू की सौगात हो, बढ़े पीर का मान॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।