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बदलेगा कश्मीर

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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३७० और ३५-ए की बेड़ियां थी जो गल गई,
कश्मीर के साथ भारत की भी किस्मत आज बदल गई।
पक्ष-अलगाव के जो बैठे थे,अपनों से आज बेगाने हैं,
कौन है अपना-कौन पराया,अब तक ना पहिचाने हैं।
भारत-मुकुट पर गहरा मेल था,वो भी अब उजल गया,
कश्मीर फिजां में जहर घुला था,वो भी आज धुल गया।
बदल तकरीर उस कश्मीर की,विकास की बयार बहानी है,
समय से पहले जो बूढ़ी हो गयी,फिर लानी नई जवानी है।
तोड़ के धर्म की ऊंची दीवारें,मजहब नया बनाना है,
देख के दुनिया अचरज हो ले,सूरज वो चमकाना है।
गैर नहीं हैं बाशिन्दे वो,सीमा-ए-कश्मीर के पार जो थे,
७० बरस से दर्द को झेले,मन से कतई लाचार न थे।
सीमा-मजहब से ऊपर उठकर,उनको गले लगाना है,
जो हक उनका बरसों-बरस से,उनको वो लौटाना है।
पीर-पुरानी हृदय-शूल सी,काबिज थी,हट जाएगी,
घनी अंधियारी रात ढल गयी,अब तो सुबह ही आएगी।
मिलकर फिर तकदीर बदल दें,सपनों के इस भारत की,
अमन-चैन को कायम रखकर,बोलें जय माँ भारतीll

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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