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बदल गई है सूरत

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’
जयपुर (राजस्थान)
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सब ‘धरा’ रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)….

हरे-भरे पेड़ थे,
नीला था आसमान,
कल-कल बहती नदियाँ,
स्वच्छ पानी जहान।

पक्षियों की चहचहाहट, फूलों की महक थी,
कुदरत की गोद में, सभी खुशहाल थे
लेकिन अब बदल गई है सूरत,
धुआँ-धुआँ है सारा आसमान।

कचरे के ढेर में, दम घुटता है इंसान कहे,
नदियाँ अब रो रही हैं, सूखी-सूखी सी
बह रही हैं
पक्षी भी चुप हो गए,
पेड़ भी अब कहाँ दिखते।

हमने किया है जो भी, पर्यावरण को नुकसान,
अब भी समय है दोस्तों, बचा लें अपना जहान।

वृक्षारोपण करें हम सब,
जल, वृक्ष को भी बचाना होगा।

प्रदूषण कम करें मिलकर,
धरती को फिर हरा-भरा बनाना होगा।

आओ मिलकर कसम खाएं,
पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं।

भविष्य की पीढ़ियों के लिए,
एक सुंदर जहां छोड़ जाएं॥