कुल पृष्ठ दर्शन : 20

You are currently viewing बरगद

बरगद

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

वसुन्धरा में वृक्षों का, राजा है ‘बरगद’,
शीतल छाँव दे के मन करता है गद-गद।

जेठ की दुपहरी में, बैठ जाते हैं राहगीर,
क्षणभर के लिए मिटती है, उनकी पीर।

‘बरगद’ ईश्वरीय आशीष के समान है,
इनकी छाँव से, कोई नहीं अनजान है।

भारत देश में, बहुत पूजनीय है ‘बरगद’,
अमर सुहाग वर देते हैं, नारी को ‘बरगद।’

‘बरगद’ में सावित्री सत्यवान का है वास,
महिला पूजा करके, रखतीं हैं उपवास।

बड़े-बुजुर्ग, संध्या समय यहाँ मिलते हैं,
अपने हमउम्र के साथ में बातें करते हैं।

‘बरगद’ की डाल में, पंछी का घोंसला है,
सुख यहाँ मिलेगा, उनका हौंसला है।

‘बरगद’ के समीप दीया जलाया जाता है,
दीप का उजाला सकारात्मकता लाता है॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |