कुल पृष्ठ दर्शन : 15

You are currently viewing बहे प्रेम गंगा

बहे प्रेम गंगा

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
******************************************

‘विश्व शांति और समझ दिवस’ (२३ फरवरी) विशेष….

‘समझ’,
विश्व में
जले शांति दीप,
उमंग रहे,
अनुराग।

‘शांति’,
निरंतर रहे
प्रेम गंगा बहे,
मिटे नफरत
अँधेरा।

‘समझ’,
प्रेम, अहिंसा
दया की किरण,
दिशा लहराए।
सत्य।

‘शांति’,
सत्य गूँजे
फैले भली रौशनी,
करूणा मन
शीतलता।

‘समझ’,
बैर बुझे
कोई न दुश्मन,
प्रेम, समर्पण
गहराए।

‘शांति’,
रंग-भेद
और मिटे जाति,
सम्मान मिले,
समता।

‘समझ’,
प्रेम उमड़े
जीना समान मिले,
सीमाएँ टूटें,
न्याय।

‘शांति’
सबका साथ
दिलों में समता,
चमके ममता
विश्वास।

‘समझ’
साथ निभाएं
स्नेह पुल बनाएं,
सुख-दु:ख
सम्बल।

‘शांति’,
सुंदर बुद्धि
सदा साथ चलें,
जीवन आनंद
स्वर्ग।

‘समझ’,
मधुर सपना
हर कोई अपना,
न सताएं,
दुश्मन।

‘शांति’,
युद्ध नहीं
धरा हो प्रेममयी,
संवाद करें,
विकास।

‘समझ’,
हथियार नहीं
हर देश बढ़े,
प्रेम करें
विश्व।

‘शांति’,
स्वर सुकून
तोप न गूँजें
हो सहिष्णुता,
उजियारा।

‘समझ’,
घात नहीं
अंधेरे से निकलें।
दिन-रात,
मानवता॥