सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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बापू के आदर्श समझ
उन पर मानव यदि कार्य करें,
मूर्त प्रेम मानव मानव का
घृणा रहित परिवेश बने।
ललित-कला दर्शन विज्ञान
सब मानवता कल्याण करें,
रीति-नीति सब विश्व प्रगति हित
बढ़ें और संताप हरें।
संस्कृत वाणी,भाव कर्म हों
रूढ़ि-रीतियाँ दूर करें,
धन-बल से हो जहाँ न शोषण
एक सभ्य समाज निर्माण करें।
मुक्त जहाँ मन की गति हो
और मानव निडर स्वकार्य करे
जीवन यापन सहज सुनिश्चित
स्वरोज़गार के कार्य करें।
अमर प्रेम का मधुर स्वर्ग,
बन जाए जग-जीवन अपना।
सत्य अहिंसा से आलोकित,
हो मानव-मन, संकल्प करें॥