सोनीपत (हरियाणा)।
कल्पकथा साहित्य संस्था द्वारा आयोजित साप्ताहिक आभासी काव्य संध्या, बाल साहित्य की निश्छल नटखटता और समसामयिक बौद्धिकता का अलौकिक संगम बनकर प्रकट हुई।विख्यात हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को समर्पित भावपूर्ण श्रद्धांजलि स्वरूप इस आयोजन में अनेक विद्वान साहित्य साधकों ने बालमन की मासूम भाव-भंगिमा को शब्दों के स्वरूप में पिरोया।
संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि काव्य संध्या बालपन की सीख और प्रसन्नता को बनाए रखने की मूल भावना को आत्मसात करते हुए सद साहित्य, हिन्दी भाषा, देशप्रेम और सनातन संस्कृति के नवोन्मेषी स्वरूप को मंच पर उतारने का माध्यम बनी। इसकी अध्यक्षता देहरादून के वरिष्ठ साहित्यकार नंदकिशोर बहुखंडी ने की। मुख्य अतिथि सीवान से जुड़े बिनोद कुमार पाण्डेय रहे। गुजरात से दीदी श्रीमती राधाश्री शर्मा ने गुरु वंदना, गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना के साथ शुभारंभ कर इसे आध्यात्मिक आभा से आलोकित कर दिया। श्री बहुखंडी ने आयोजन को बहुआयामी एवं वैचारिक समृद्धता का ध्वजवाहक बताया। मुख्य अतिथि श्री पाण्डेय ने सभी रचनाकारों को बाल सुलभ आनंद की पुनर्रचना हेतु साधुवाद देते हुए इसे अनुपम प्रयास कहा।
समापन पर अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने कहा कि काव्य संध्या ने यह प्रमाणित किया कि जब साहित्य बालपन की निर्मल दृष्टि और हृदय की उदात्त भावना से लिखा जाता है, तब वह केवल मनोरंजन नहीं, भावजागरण का माध्यम बन जाता है।
कार्यक्रम में देश-विदेश से श्रीमती किरण अग्रवाल, सुनील कुमार खुराना, श्रीमती रजनी कटारे, सत्यम सिन्हा, डॉ. जया शर्मा, श्रीमती अलका शर्मा, श्रीमती ज्योति देशमुख व सत्यम तिवारी आदि प्रमुख रचनाकार सम्मिलित रहे।
साहित्यिक विविधता और समसामयिक सघनता से युक्त रचनाओं में कभी बालक के नेत्रों से बहती स्वप्निल नदी दिखी, तो कहीं बालमन की कल्पना में उड़ते तितलियों के रंग बिखरे गीत रहे। पूरे आयोजन में मानवीय चेतना के स्वर गुंजायमान रहे।
संचालन का दायित्व आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ (जालौन) तथा पवनेश मिश्रा ने निभाया।
अंत में सभी का आभार श्रीमती राधाश्री शर्मा ने व्यक्त किया।