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बीते समय की बात

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ 
मनावर(मध्यप्रदेश)
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बीते समय की बात का
ख्याल आया,
तुम चलाती
सायकल तुम्हारी खुद की,
मैं किराए की चलाता
प्रेम में अमीर दिखाने को रौब,
झूठा था मगर प्रेम सच्चा।

तुम खिड़कियों,
छत से भी
मेरा मन पढ़ लेती,
शायद तुम प्रेम की जादूगरनी थी।

जब तुम पास से गुजरती,
मेरे शब्दों पर लग जाता था कर्फ्यू
ढाई अक्षर प्रेम के नहीं बोल पाता,
तुम लिख देती थी
सैकड़ों खत।

खत लिखना तो,
बीते समय की बातें हो गई
अब आ गया मोबाइल फोन का जमाना,
लेकिन तुम ना रही
अब भेज नहीं सका प्रेम संदेश,
क्योंकि मोबाइल नम्बर
तुम्हारा मेरे पास नहीं,
वक्त अब ये कह रहा।
ये बात भी तो,
बीते समय की बात हो गई॥

परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL