संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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… जो खो गए हैं,
वो सत्य को नहीं जानते
न कारण जानते,
न प्रभाव जानते
न अपना लाभ जानते,
न दूसरों का लाभ जानते
यदि वो खुद को भी नहीं जानते,
तो वो पहले से ही खो चुके हैं।
वो बचपन से ही भटके हुए हैं,
गलत रास्ते पर जा चुके हैं
बुरी चीजों के प्रति आसक्त होना,
नशीले पदार्थों का सेवन करना
यह उनके लिए मामूली बातें हैं,
अब वो खुद खो पूरी तरह चुके हैं
समाज से दूर अपनी दुसरी दुनिया में,
जहाँ से लौटना मुश्किल हो सकता है
पर नामुमकिन नहीं…।
अच्छी दुनिया में,
लौटने की इच्छा हो
तो उन्हें आना होगा,
इंसानियत की दुनिया में
धर्म को समझना होगा,
धर्म में बताए सही रास्ते की
खोज करनी होगी,
आवश्यकताओं का
अध्ययन करना होगा,
नैतिकता का अध्ययन
सब्र के साथ करना होगा,
फिर अच्छाई और सद्गुण का
अवलोकन करना होगा,
क्या सही, क्या गलत!
समझने की कोशिश करनी होगी
तभी स्थापित होगी अच्छाई।
अच्छाई में स्थित होना,
जैसे भाग्यशाली होना है
इससे ही आत्म-सुधार होगा,
आत्म-विकास होगा
जिससे जीवन मंगलमय होगा,
गलत राह पीछे छूट जाएगी
सही राह पर चलकर।
भटका हुआ इंसान फिर से,
एक अच्छा इंसान बन जाएगा॥