हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************
‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ (२८ सितंबर) विशेष…
बेटियाँ हर परिवार के लिए बहुत ही भाग्यशाली होती है, क्योंकि सनातन संस्कृति वाले उसे पूजनीय मानते हैं। वह दुर्गा, काली, सरस्वती, लक्ष्मी का स्वरूप होती है। इसलिए कन्या हमारे समाज को आपस में एकता के सूत्र में बंधे रखती है, जिससे परिवार में स्नेह व वात्सल्य भाव बना रहता है, जब बहन-बेटियाँ घर में रहतीं हैं। हम सभी को इन शक्ति स्वरूपा बेटियों के भविष्य को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने हेतु आगे आना ही होगा। ‘बेटी है, तो कल है, यह सिर्फ चार पंक्ति नहीं है। यह भविष्य में नारी शक्ति को आगे बढ़ाने हेतु मान- सम्मान है। बेटियों में हमेशा सामाजिक दृष्टिकोण व समन्वय बना रहना चाहिए। वह एकजुटता का संचालन करती हैं और हमेशा से सेवाभावी, समझदार व परोपकारी तो रहती हैं। उसी के साथ-साथ वह अपने माता-पिता के लिए भी हर समय दु:ख-सुख में सबसे आगे खड़े रहने वाली होती है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि बेटा अंश है तो बेटी वंश है। आज सामाजिक स्तर पर वह अपने-आपको आधुनिक जमाने में आगे बढ़ा रही है। हम देखें तो वह साहसी व निडर होकर पुरुष-प्रधान समाज में एक अलग जगह बना रही है। यह बहुत गर्व की बात है। शादी के बाद २ परिवारों को साथ में लेकर चलने वाली बेटियाँ बड़े सौभाग्य से मिलती है। संस्कारों की दहलीज पर सोनपरी आज़ादी के साथ शिक्षा व संस्कारों को लेकर राष्ट्र व समाज के लिए कन्या देवी स्वरूपा अपने शुभ कदमों का अब पर्दापण कर रही है, क्योंकि समाज में यह वैचारिक भावना जाना चाहिए कि बेटियाँ बोझ नहीं होती है। वह तो संस्कारों की परिधि में रहकर भी २ परिवारों का आत्मविश्वास बढ़ाती है, यानी बेटी है तो कल है।
मनुष्य जीवन में नर व नारायणी दोनों जरूरी है। तभी सम्पूर्ण धरती पूर्ण होती है। इसलिए बेटियों को पढ़ाया जाना चाहिए और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने दिया जाए।
