डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’
जोधपुर (राजस्थान)
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बेतरतीब कोई भी चीज हो,
कभी अच्छी नहीं लगती
खूबसूरत जिंदगी बेतरतीब,
ख्यालों से नहीं चलती।
ये इंद्रधनुष, ये रंगीनी, ये खुशी,
बिना रंगों के सच्ची नहीं लगती
घर की रौनक बडे़-बुजुर्गों के,
बिना अच्छी नहीं लगती।
बच्चे खुश न हों तब तक
हर खुशी बोझिल लगती।
बेतरतीब दुनिया की तस्वीर,
कभी अच्छी नहीं लगती॥