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भक्ति मार्गी चिंतन

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी
सहारनपुर (उप्र)
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सुख, अनुकूलता मजबूत हों संसार -बन्ध,
दुःख, प्रतिकूलता मजबूत हों प्रभु- संबन्ध।

जो मांगे प्रभु से भक्ति वो इतना सोच समझ ले,
सुख-साधन मांग से टूटेगा निश्चित भक्ति-अनुबंध।

जब केवल एक मार्ग ही बचता है प्रभु भजन का,
जीवन फिर तो भर जाए सुंदर भक्ति सुमन-सुगंध।

जिसको दें विषम परिस्थिति अपने होने का भान दें,
माया से मुक्त मिटाए सांसारिक तन नेत्रन-अन्ध।

बलिहारी ऐसे दुःख की जो प्रभु-प्रीतम से मिलाये,
सुख-वैभव झूठा सपना समझ ये माया गोरख-धन्ध।

सुख, अनुकूलता मजबूत हों संसार बन्ध,
दुःख, प्रतिकूलता मजबूत हों प्रभु संबन्ध॥