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भविष्य की राजनीति का स्पष्ट संकेत है भाजपा में युवा नेतृत्व

ललित गर्ग

दिल्ली
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भारतीय राजनीति में लंबे समय से जिस क्षण की प्रतीक्षा थी, वह अब एक निर्णायक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व की बागडोर युवा हाथों में सौंपने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नितिन नबीन को पार्टी का नया कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति अस्थायी है, किंतु जिस प्रकार से इस निर्णय का पार्टी के भीतर और बाहर स्वागत हो रहा है, उससे स्पष्ट है कि भविष्य में उन्हें ही पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया जा सकता है। यह नियुक्ति केवल संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की कार्यशैली, नेतृत्व-चयन और भविष्य-दृष्टि में आए एक बड़े परिवर्तन का उद्घोष है। भाजपा संसदीय बोर्ड का यह निर्णय न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अब तक लिए गए साहसिक, अप्रत्याशित और दूरगामी परिणाम देने वाले निर्णयों की श्रृंखला का एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय भी है।
नितिन नबीन बिहार की राजनीति में कोई नया नाम नहीं हैं। वे ५ बार विधायक रह चुके हैं और जमीनी राजनीति की बारीकियों से भली-भांति परिचित हैं। संगठन और सरकार-दोनों के अनुभव से संपन्न नितिन नबीन ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया है, साथ ही संगठन के विभिन्न स्तरों पर उन्होंने जिस अनुशासन, रणनीतिक समझ और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है, वही उन्हें इस पद के लिए स्वाभाविक विकल्प बनाता है। उनका राजनीतिक व्यक्तित्व केवल भाषणों तक सीमित नहीं, बल्कि संगठन खड़ा करने, कार्यकर्ताओं को जोड़ने और वैचारिक प्रतिबद्धता बनाए रखने की क्षमता से परिपूर्ण है। यही गुण भाजपा की आत्मा भी है-जहां व्यक्ति नहीं, संगठन सर्वोपरि होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति का एक स्थायी गुण रहा है-नए चेहरों पर भरोसा और पीढ़ीगत नेतृत्व का निर्माण। चाहे वह केंद्र सरकार में मंत्रियों का चयन हो, राज्यों में मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति हो या संगठन में बदलाव-मोदी ने बार-बार यह साबित किया है कि वे भविष्य की राजनीति को आज गढ़ने में विश्वास रखते हैं। नितिन नबीन का चयन भी इसी विचारधारा का प्रतिफल है। यह निर्णय संकेत देता है कि भाजपा अब केवल चुनाव जीतने की पार्टी नहीं रहना चाहती, बल्कि अगले २-३ दशक के लिए एक स्थायी वैचारिक और संगठनात्मक नेतृत्व तैयार कर रही है। युवा पीढ़ी, विशेषकर पहली बार मत देने वाले मतदाताओं को आकर्षित करने की दृष्टि से यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सहमति और समर्थन अनिवार्य माना जाता है। भाजपा की चुनावी सफलताओं में संघ की भूमिका सदैव निर्णायक रही है-चाहे वह विचार-प्रसार हो, कार्यकर्ता निर्माण हो या सामाजिक संपर्क। पिछले कुछ चुनावों में जिन परिस्थितियों का सामना दल को करना पड़ा, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा संगठन और संघ के बीच पूर्ण सामंजस्य कितना आवश्यक है। ऐसे में नितिन नबीन का चयन यह संकेत है कि संघ और पार्टी नेतृत्व के बीच गहन विमर्श और सहमति के बाद ही यह निर्णय लिया गया है।
नितिन नबीन के सामने सबसे बड़ी और तात्कालिक चुनौती पश्चिम बंगाल के आगामी चुनाव हैं। यह राज्य लंबे समय से भाजपा के लिए रणनीतिक और वैचारिक दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा है। यहाँ केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि राजनीतिक संस्कृति, राष्ट्रवाद और सामाजिक संतुलन की भी परीक्षा होती है। एक संगठनात्मक अध्यक्ष के रूप में नितिन नबीन की वास्तविक कसौटी यहीं होगी। यदि वे बंगाल में संगठन को नई धार देने, कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने और जनता के बीच विश्वास स्थापित करने में सफल होते हैं, तो उनका नेतृत्व स्वतः ही प्रमाणित हो जाएगा। यही वह मंच है, जहां उनका रुतबा, कौशल और रणनीतिक दृष्टि राष्ट्रीय राजनीति के सामने स्पष्ट होगी।
नितिन नबीन की कार्य-शैली में युवाओं के प्रति विश्वास, विकासोन्मुख सोच और पारदर्शिता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे पद को नहीं, दायित्व को प्राथमिकता देते हैं और संगठन के मूल्यों के अनुरूप निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं।
संगठन नेतृत्व के प्रति कार्यकर्ताओं का अटूट विश्वास, स्पष्ट दिशा और नेतृत्व की पारदर्शिता भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। यहाँ कार्यकर्ता स्वयं को सत्ता का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का सहभागी मानता है। यही कारण है कि भाजपा में नेतृत्व और कार्यकर्ता के बीच विश्वास, प्रतिबद्धता और परस्पर सम्मान का संबंध दिखाई देता है, जो पार्टी को निरंतर सशक्त और गतिशील बनाए रखता है।
नितिन नबीन का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मनोनयन व्यक्ति की नियुक्ति नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति का स्पष्ट संकेत है। यह युवा नेतृत्व, वैचारिक प्रतिबद्धता, संगठनात्मक अनुशासन और संघ-समन्वय का संगम है। यदि नितिन नबीन इस जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाते हैं-विशेषकर पश्चिम बंगाल जैसी कठिन राजनीतिक भूमि पर-तो वे न केवल भाजपा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेंगे, बल्कि भारतीय राजनीति में युवा नेतृत्व की नई परिभाषा भी गढ़ेंगे।