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‘भारतीय ज्ञान परम्परा का हिंदी साहित्य पर प्रभाव’ हेतु शोध-पत्र आमंत्रित

चण्डीगढ़ (पंजाब)।

हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय (चण्डीगढ़) द्वारा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के सहयोग से राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह ५ सितम्बर को होना है। ‘भारतीय ज्ञान परम्परा का हिंदी साहित्य पर प्रभाव’ विषय पर
इसमें शोध-पत्र भेजने की अंतिम तारीख २५ अगस्त है।
संगोष्ठी संयोजक प्रो.(डॉ.) अशोक कुमार (hindiseminar2 526@gmail.com) के अनुसार
संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारतीय सभ्यता की उस समृद्ध बौद्धिक धरोहर को समझना और विवेचित करना है, जिसने हिंदी साहित्य को गहराई, नैतिकता और सांस्कृतिक मूल्यों से समृद्ध किया है। इसमें विद्वान, शोधार्थी और साहित्य प्रेमी यह विचार कर सकें कि कैसे प्राचीन भारतीय चिंतन आज के हिंदी साहित्य को नई दृष्टि और प्रासंगिकता प्रदान कर सकता है।

संगोष्ठी के उपविषय-रामायण और महाभारत का हिंदी काव्य एवं गद्य साहित्य पर प्रभाव, भक्ति आंदोलन में भारतीय ज्ञान परम्परा की भूमिका और प्रेमचंद और गांधी युगीन साहित्य में भारतीय नैतिक विचारधारा का प्रतिबिंब आदि पर शोध-पत्र सन्दर्भ सहित ३ हजार शब्दों का भेजना है।