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भारतीय भाषाएं ही देश की एकता की सशक्त कड़ी-उप राज्यपाल

🔹हिंदी के क्षेत्र में योगदान हेतु डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ सम्मानित…

वाराणसी (उप्र)।

भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना की आत्मा है। भारतीय भाषाएं ही देश की एकता की सशक्त कड़ी हैं, जो हमें विविधता में भी एकता का बोध कराती हैं। काशी को वेदों और पुराणों के अनुसार धरती का पहला और अंतिम नगर कहा गया है। इस समागम का उद्देश्य देश की भाषाई विविधता को सम्मान देना और नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा के प्रति गौरव बोध कराना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह बात भारतीय भाषा समागम-२०२५ में शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ सभागार में ‘पंच प्रण:स्वभाषा और विकसित भारत’ विषय पर कही। कार्यक्रम का शुभारंभ अपरान्ह में हुआ। इस आयोजन में देशभर की भाषाओं, बोलियों और लोक संस्कृतियों की रंगारंग छटा बिखरी। अध्यक्षता भालचंद्र मार्डीकर ने की।
मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण, प्रचार और उनके माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता बनाए रखने पर विशेष जोर दिया। आपने लोगों से आग्रह किया कि अपनी भाषाओं का सम्मान करें, उनका प्रचार-प्रसार करें।
काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि ७५ साल बाद भारत विश्व के आधुनिक देशों में शामिल क्यों नहीं हुआ, उसका सबसे बड़ा कारण एक ही है। हम मातृभाषा में शिक्षा देने में सक्षम नहीं हो पाए। जब तक हम पुस्तकें अपनी भाषा में उपलब्ध नहीं कराएंगे, तब तक देश की उन्नति स्वप्न ही बना रहेगा।
काशी हिन्दू विवि के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति भावी पीढ़ियों को दिशा देगी। देश को स्व का बोध कराएगा। उन्होंने भारतीय भाषाओं की आवाज हिन्दुस्थान समाचार की भूमिका की चर्चा की।
इस अवसर पर हिंदी के क्षेत्र में योगदान के लिए मनोज सिन्हा द्वारा वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ को भारतीय भाषा सम्मान-२०२५ दिया गया।
प्रारम्भ में स्वागत निदेशक प्रदीप मधोक ‘बाबा’ ने किया। संचालन सम्पादक जितेंद्र तिवारी ने किया।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)