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भारतीय संस्कृति और एकात्मता की आधारशिला है नागरी लिपि

बठिंडा (पंजाब)।

नागरी लिपि भारतीय संस्कृति, ज्ञान और एकात्मता की आधारशिला है तथा विभित्र भारतीय भाषाओं को जोड़ने की अद्वितीय क्षमता रखती है। यह सम्मेलन नागरी लिपि के संरक्षण, तकनीकी संभावनाओं और वैश्विक प्रसार पर नए दृष्टिकोण और विचारों को आकार देगा।
मुख्य अतिथि कर्नल जगदेव करतार सिह (से.नि.) ने यह बात कही। अवसर रहा पंजाब केंद्रीय विवि में आयोजित अ.भा. नागरी लिपि सम्मेलन का, जो देश-विदेश में नागरी लिपि का प्रचार-प्रसार करने वाली प्रतिनिधि संस्था नागरी लिपि परिषद ने आयोजित किया। इस द्विदिवसीय ४८वें सम्मेलन को विवि के हिंदी विभाग एवं नागरी लिपि परिषद (नई दिल्ली) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। उद्घाटन आदर्श आयुर्विज्ञान विवि (बठिंडा) के कुलपति कर्नल (सेवानिवृत) जगदेव करतार सिंह ने किया। परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद पातंजलि की अध्यक्षता और महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल के मार्गदर्शन में इसका शुभारंभ विवि गीत और पौधों को जल अर्पण के साथ हुआ। सम कुलपति आचार्य किरण हजारिका ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि नागरी लिपि के संरक्षण और संवर्धन के लिए देश-विदेश से एकत्रित विद्वानों का यह संगम भारतीय ज्ञान-परंपरा, भाषाई विरासत और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हिंदी विभागाध्यक्ष आचार्य राजेंद्र सेन और विभाग के शिक्षकों के नेतृत्व में संचालित यह सम्मेलन लिपिहीन एवं विलुप्तप्राय: भाषाओं के लिए भी नए मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस अवसर पर परिषद द्वारा विवि को विनोबा भावे पुरस्कार (संस्था) और व्यक्तिगत पुरस्कार परिषद की तेलंगाना शाखा के संयोजक चवाकुल रामकृष्ण राव को दिया गया। सम्मान में प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, शाल और नागरी साहित्य भेंट किया गया। लिपि संवर्धन में योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं को डॉ. पाल एवं डॉ. पातंजलि ने सम्मानित किया।परिषद की मुख पत्रिका नागरी संगम के स्वर्ण जयंती विशेषांक और डॉ. पाल द्वारा संपादित वैश्विक हिंदी पत्रिका ‘सौरभ’, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. ब्रजेश कुमार यदुवंशी, अरुण कुमार पासवान, डॉ. द्विवेदी की सद्य प्रकाशित पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया।
परिषद के कोषाध्यक्ष आचार्य ओमप्रकाश और डॉ. ऋतु रानी ने देश-विदेश से नागरी लिपि विद्वानों से प्राप्त संदेशों का वाचन किया। उ‌द्घाटन सत्र के दौरान आकाशवाणी दिल्ली के पूर्व सह-निदेशक अरुण कुमार पासवान ने ‘नागरी लिपि परिषद के लक्ष्य और उद्देश्य’ विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. पाल ने विषय प्रवर्तन करते हुए नागरी लिपि की स्वर्णिम उपलब्धियों को रेखांकित किया।
इस सत्र में मंच संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. कुलभूषण शर्मा ने किया। डॉ. राजेन्द्र कुमार सेन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। द्वितीय सत्र में ‘सूचना प्रौद्योगिकी एवं नागरी लिपि’ विषय पर नराकास (उपफम, गाजियाबाद) के सदस्य सचिव ललित भूषण ने ‘डिजिटल युग में नागरी लिपि की उपयोगिता और भविष्य की संभावनाओं’ विषय पर विचार साझा किए। अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार ने की।
समापन सत्र में विवि के छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. संजीव ठाकुर मुख्य अतिथि रहे। अध्यक्षता डॉ. पाल ने की। इसमें विवि की ओर से समस्त प्रतिभागियों का शाल, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति-पत्र से सम्मान किया गया।
अंतिम सत्र में कवि सम्मेलन में प्रतिभागियों और विवि के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न शैलियों में काव्य पाठ प्रस्तुत कर खूब तालियाँ बटोरी। अध्यक्षता आचार्य ओमप्रकाश ने की। डॉ. पाल के सानिध्य और श्री पासवान के समायोजन में संचालन वरिष्ठ कवि मोहन द्विवेदी ने किया।