पुस्तक यात्रा…
मंडला (मप्र)।
पुस्तकें हमें जीने की कला सिखाती हैं, हमें संघर्ष करना बतातीं हैं। पुस्तकें न केवल एकांत में साथ निभाने वाली अच्छी मित्र होती हैं, बल्कि विवेक, न्याय, चेतना और पथ-प्रदर्शन करने वाली श्रेष्ठ गुरु भी होती हैं।
बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व प्राचार्य प्रो. शरद नारायण खरे ने भोपाल से प्रारंभ होकर मंडला पहुंची विश्वरंग पुस्तक यात्रा व कौशल विकास यात्रा के मंडला पहुंचने पर आइसेक्ट मंडला में आयोजित समारोह में यह विचार अभिव्यक्त किए। विशिष्ट अतिथि श्रीमती नीलम खरे ने आयोजनीय परिकल्पना की मुक्तकंठ से प्रशंसा की और फरमाइश पर शानदार गीत गाकर परिवेश को सरस कर दिया।
कार्यक्रम का संयोजन आइसेक्ट प्रभारी नारायण यादव ने किया। संचालन यात्रा के साथ भोपाल से आए वेदप्रकाश जी ने करते हुए पुस्तकों व कौशल विकास के महत्व पर सविस्तार प्रकाश डाला।
अतिथियों ने प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पदक व प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया। आयोजकों ने स्मृति चिन्ह भेंटकर अतिथियों को सम्मानित किया। अतिथियों ने पुस्तक स्टार का अवलोकन कर प्रशंसा की व हरी झंडी दिखाकर रथ को नैनपुर की ओर रवाना किया।