सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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दैन्य-दु:ख मिट गए सारे
छँटी सब धूलियाँ मन की,
सितारे आज हँसते हैं
सोहे चंदा की उजियारी।
सृजन का हर्ष है मन में
गुंजरित पैजनी पग की,
पल्लवित हो उठा यौवन
मंजरित हृदय फुलवारी।
रोमांचित प्राण होता है
अमित यह लालसा मन की,
आएगा झूमकर बचपन
गूँजेगी घर में किलकारी।
गीत कोयल के मधु घोले,
कामना नवल पल्लव की।
लालायित मन की तृष्णा है,
कृपा करना हे बनवारी॥
