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मनमोहक गीत, ग़ज़ल एवं कविताएं बरसी गोष्ठी में

पटियाला (पंजाब)। स्वाभिमान साहित्यिक मंच द्वारा ३९वें राष्ट्रीय कवि दरबार में साहित्य प्रेमियों का समागम हुआ। इसका संयोजन नरेश कुमार आष्टा ने किया। अध्यक्षता की जिम्मेदारी उत्तराखंड की सोनिया आर्या सब्र ने संभाली।
    कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसे जागृति गौड़ ने प्रस्तुत किया। इसके बाद स्वाति चौरे ने मनमोहक गीत ‘वो सुख के टिमटिमाते दूर हो गए सितारे, पतझड़ में ना आए कोई तो अब बहारें’ प्रस्तुत किया। साहित्यकार संतोष मालवीय ने कविता ‘मेरे जीवन में, चुटकी भर उजाले हैं, तारों भरी, श्याही रात हैं, प्यार की यह, पहली सौगात हैं’ से सबको प्रभावित किया तो रेखा किंगर रौशनी ने खूबसूरत ग़ज़ल ‘जाने दिल है उदास क्या कीजिये, तू नहीं आस-पास क्या कीजिये।’ सुनाई। एक से बढ़कर एक शायरी प्रस्तुत करते हुए कवि सिद्धेश्वर ने कहा ‘तुमसे खफा-खफा होना मेरी किस्मत, प्यार में नुकसान-नफा होना मेरी किस्मत।’ डॉ. अनुज प्रभात, नंदकुमार आदित्य, रशीद गौरी, दुर्गेश मोहन एवं जागृति गौड़ आदि ने भी शायरी से सबका मन मोह लिया।
सोनिया आर्या सब्र ने साहित्यकारों की रचनाओं का खूबसूरती से विश्लेषण किया और कविता ‘वो कहते हैं रिश्ते अब मतलबी हो गए हैं’ पेश की। संचालन जागृति गौड़ ने किया।