हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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उपवन में खिलते प्यारे फूल,
फूलों का अपना है संसार
इन्हीं रंग-बिरंगे फूलों पर आती,
सुंदर तितली मन को भाती है।
जिन्हें देखकर हम बच्चे,
दौड़ते हैं फूलों के पास जाते
वहाँ हमारी आहट से उड़ जाती,
तितली हमारे मन को भाती है।
उसकी बनावट देख मन,
आकर्षित होता है
प्रकृति की सुंदरता है,
उन उड़ती हुई तितलियों में
तभी तो तितली मन को भाती है।
पगडंडी पर हम बच्चे चलते,
तभी वह तितली दिखती है।
मन में देख अच्छा लगता है,
क्योंकि तितली मन को भाती है॥