दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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दीप जलें, मन महके…
मन में दीप जले प्रेम का,
स्नेह की खुशबू बिखेरें रिश्ते
इस दिवाली हर इक घर में,
दीप जलें, मन महके।
मन निर्मल हो जाए सबका,
रंगोली-सी मुस्कान सजे
खुशियों से रोशन हो जीवन पथ,
दीप जलें, मन महके…।
प्रीति दया करुणा के दीपक,
जग को शांति की राह दिखाएं
दीप आशा का जब जगमगाए,
दीप जलें, मन महके…।
शांति की भावना चारों ओर हो,
मन में हों बस शुभ संदेश
राग-द्वेष का नाम नहीं हो,
दीप जलें, मन महके…।
न हो यह सिर्फ पर्व दीप का,
मिल-जुल कर खुशियाँ भी बाँटें।
खुशियों से जगमग हो हर इक आँगन,
दीप जलें, मन महके…॥