कुल पृष्ठ दर्शन : 314

You are currently viewing मन रहे रोशन हमेशा

मन रहे रोशन हमेशा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
******************************************

रोशनी से जिंदगी…

जिंदगी से रोशनी है रोशनी से जिंदगी,
मन रहे रोशन हमेशा है खुदा से बंदगी।

कर्म से होती सदा पहचान हर इंसान की,
श्रेष्ठ मानव को ही मिलती है शरण भगवान की
क्यों अंधेरों में भटकता आदमी हैरानगी,
मन रहे रोशन हमेशा है खुदा से बंदगी…।

अज्ञान के काली घटा से घिर रहा है आदमी,
रोशनी को ढूंढता अब फिर रहा है आदमी‌
बिना गुरु के कौन कर सकता है रोशन जिंदगी,
मन रहे रोशन हमेशा है खुदा से बंदगी…।

चार दिन की जिंदगी पर रोशनी तो चाहिए,
पेट में रोटी भी हो सोने को बिस्तर चाहिए
चाँदनी जीवन में हो तब ही बचेगी जिंदगी,
मन रहे रोशन हमेशा है खुदा से बंदगी…।

बात इतनी सिर्फ है आँखें सलामत चाहिए,
यह अगर रोशन नहीं दुनिया में कुछ ना चाहिए
यह सुनिश्चित है अगर है रोशनी तो जिंदगी,
मन रहे रोशन हमेशा है खुदा से बंदगी…।

ग़र रहेगी जिंदगी तो रोशनी दे पाएगा,
दीप बिन बाती के ही कैसे जला रह जाएगा।
ना रहे गर रोशनी कैसे बचेगी जिंदगी,
मन रहे रोशन हमेशा है खुदा से बंदगी…॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

Leave a Reply