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मन शिव-शंभू बोले

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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रे मन शिव-शंभू बोले कभी तेज कभी हौले,
शिव का नाम सुन-सुन के जियरा मोरा डोले।

उस भक्त पर शिव जी शीघ्र ही प्रसन्न हों,
दु:खों की धूप में बस जो शिव- शिव बोले।

शिव का ही होके जो सबका शिव सोचता है,
शिव स्वयं ही उसपे अपने करुणा द्वार खोलें।

दु:खों में शिव‌ रटता सुख में बस मौज-मस्ती,
फिर तो शिव जी बार-बार तेरा मन टटोलें।

उचित सभी की सुनते देव हो या दानव हो,
गुणियों में सबसे श्रेष्ठ भोलों में भोले।

जब किसी से ना संभले सृष्टि सब पुकारें शिव,
तृतीय-नेत्र भस्म करे निकलें फिर तो शोले।

हमको मनुज तन मिला है प्रभु का नाम लेने को,
प्रभु से‌ ना प्रीत जुड़ी बदले मानव चोले।

कटें सब क्लेश तेरे शिव-शिव तू जपता जा,
बंद खाते-पाप रसना नाम-रस को घोले।

‘वंदना शिवदासी’ को चरण-शरण मिल जाए,
दूर रोग-भोग, माया-मोह के सपोले।

रे मन शिव-शंभू बोले कभी तेज कभी हौले,
शिव का नाम सुन-सुन के जियरा मोरा डोले॥