मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’
महासमुंद(छत्तीसगढ़)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………
महिला एक शब्द ही नहीं है,वह अथाह सागर की तली है,
जिसका पार ना कोई पा सका,उसमें अदभुत शक्ति भरी है।
जिसकी सहनशीलता के आगे धरती क्या सारी सृष्टि की भी कमी है,
सूर्य में आग,पुष्प में सुगंध,जल में उतनी नमी नहीं, जितनी उनमें नमी है।
महिला एक शब्द ही नहीं है,वह अथाह सागर की तली है,
जिसका पार ना कोई पा सका, उसमें अदभुत शक्ति भरी है।
जिनके साथ है महिला,जिनके पास है महिला,वह दर्द में भी सुखी है,
जिससे पृथक है महिला,जिनके विपक्ष महिला,वह स्वस्थ भी दु:खी है।
जिसके बिना पुरुष अधूरा जग में,जगजननी भी तो वही है,
विद्या,विजया,लक्ष्मी,खुशी,शांति और जया भी उनके बिना नहीं है।
महिला एक शब्द ही नहीं है,वह अथाह सागर की तली है,
जिसका पार ना कोई पा सका,उसमें अदभुत शक्ति भरी है॥