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माँ अनमोल

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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माँ रोम-रोम में हर मानव के बसती है,
उसके बिन नहीं मानव की कोई हस्ती है।

जन्मदात्री जननी जग से न्यारी है,
हर रूप में माँ सबको प्यारी है।

माँ का प्यार-दुलार जीवन का अनुमप उपहार,
माँ तेरी हो हर युग में जय-जयकार।

माँ सरस्वती-लक्ष्मी-अन्नपूर्णा होती है,
खुद विपत्ति सहकर बच्चे की रक्षा करती है।

अपना निवाला अपने बच्चों के लिए सहेजती है,
हर हाल में दुःख सहकर मन्द-मन्द मुस्काती है।

माँ मानव की प्राण आधार होती है,
माँ बिन यह दुनिया रोती है।

खुशनसीब हैं वो लोग जिनकी माँ होती हैं,
माँ इस जग में अनमोल होती हैll

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।