सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
********************************************
महाकाल की शक्ति महाकालरात्रि,
प्रचंड शक्तिरूपा, शनि अधिष्ठात्री
अंधकार में ज्वाला बनकर प्रगटती,
काल के विरूद्ध सप्तम दुर्गा उठती।
अमारात्रि सम देह, गले विद्युत माला,
दुष्ट रक्तबीज संहारे पीती रक्त प्याला
बिखरे केश विकराल झंझा की भांति,
श्वास-प्रश्वास से निकले अग्नि कांति।
सृष्टि के संताप में सब मंगल करती,
धारती रौद्र रूप, दानव को दलती
चर्म वस्त्र, मुंड-माला, वरमुद्रा सजे,
लें खड्ग, लोह कंटक रणभेरी बजे।
मसानवासी, गदर्भवाहिनी क्रुद्ध हुंकार,
विकट अट्टहास से भयमुक्त करें संसार
काल नियंत्रिका, शुभंकरी, तेज विशाल,
आरोग्य दें अकाल मृत्यु हरे, करें निहाल।
शत्रु हंत्री, यम को मात देती माँ दक्षिणी,
माँ कालरात्रि दयामयी, श्रद्धालु रक्षिणि।
माई अभय दान दें मोक्ष मार्ग सुगम करें,
संत्रास हरें, सुख सौभाग्य से भंडार भरें॥