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माँ का स्मरण

दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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नवरात्रि की पावन बेला,
सुमिरो माँ जगजननी का नाम
करुणा-ममता की मूरत वह,
बिगड़े बनाएं सबके काम।

अर्घ्य अर्पित करो चरणों में,
मन में हो श्रद्धा का भाव
दीप जले मन मंदिर में,
बजे हृदय में भक्ति राग।

भाव सजाओ मन मंदिर में,
माँ के नाम का हो श्रृंगार
हर दिन बन जाए शुभ मंगलमय,
जब माँ का सुमिरन हो बारम्बार।

जय माँ अम्बे ,जय महाकाली,
जय दुर्गा माँ, सिंह वाहिनी।
कामना सबकी पूरण कर दो,
बिगड़े बना दो सबके काज॥