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माँ की सूरत में भगवान

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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देखकर तेरी सूरत माँ, भगवान को हम याद करते हैं,

प्रभु को हम देखे नहीं, तुझे देख उन्हें प्रणाम करते हैं

ममता मिलती तुमसे इतनी कि उन्हें दयावान कहते हैं,

देख के तेरी सूरत माँ हम भगवान की मूरत बनाते हैं।

रहता नहीं एक दाना घर में, फिर भी भूखे नहीं सोते हैं,

इसीलिए प्रभु को सब दीनबंधु दीनानाथ कहते हैं

बिन देखे-बिन सुने तुम बच्चे का दर्द समझ जाती हो,

इसलिए तो भगवान को हम सर्वदृष्टा भी कहते हैं।

दुर्गा काली लक्ष्मी पार्वती सीता और सती,

तेरे ही सब रूप हैं कोई बोले माता भगवती

अपना रूप दिखाने को भगवान भी तेरा धरते हैं,

इसलिए भगवान को हम माँ-बाप भी कहते हैं।

माँ और धरती माँ दोनों सहन शक्ति के पर्याय हैं,

दोनों को कष्ट देना अब उनके बच्चों का कार्य है

बच्चों की हर गलती को सदा माफ वो करती है,

इसलिए भगवान को भी माँ सदा आशीष करती है।

माँ ही पूजा, माँ ही ईश्वर, माँ ही है जगदीश्वर,

माँ की पूजा करो, माँ-बाप ही हैं तेरे परमेश्वर।

माँ से बढ़कर कुछ नहीं, तभी तो प्रभु जन्म लेते हैं,

‘दीनेश’ इसलिए वो भी माँ की गोद में खेलते हैं॥

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