सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
********************************************
तप-त्याग की ज्योत शांत स्वरूप,
माँ ब्रह्मचारिणी का अनुपम रूप
हिमवान पुत्री की सघन साधना,
शिव प्रीत की दुर्भेद्य आराधना।
श्वेत वस्त्र शोभित, उर निर्विकार,
अद्भुत कमंडल, जपमाला करधार
वदन तेज ब्रह्मचारिणी सौदामिनी,
नग्न चरण रह अटल पथगामिनी।
शिवशंकर को पाने की उत्कंठा,
तपस्विनी फेरे अखंडित कंठा
प्रेम पिपासा मन-मेधा में लिए,
दृष्टिगत पल्लव पथ क्षोम किए।
अपर्णा शक्ति की द्वितीय किरण,
हे देवी माता! ले लो चरण-शरण
माँ तपश्चर्या तप-प्रेम की मूरत,
दे देती है जीवन को नव सूरत।
सत्य-संयम की पुनीत आधार,
विद्याज्ञान का दें अपार विस्तार।
पराम्बा ब्रह्मचारिणी दो वरदान,
सुख-शांति से आवृत्त हो जहान॥