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माँ भारती पुकारती

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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उठो जवानों देखो सरहद पर माँ भारती पुकारती,
चलो और आगे बढ़कर तुम, दुश्मन को है ललकारती…।

अपना शौर्य तुम्हें दिखाना, चीर दो पाक की छाती,
आतंकवादी बनकर जो हमसे है छीना, चीर दो उनकी छाती…।

सफल ‘सिंदूर ऑपरेशन’ से थरथराते पाकिस्तानी,
कोई सहयोगी नही बनेगा तुम्हारे कर्मो की निंदा होनी…।

लिए तिरंगा हाथों में सरहद पर घुसपैठ सदा है रोकना,
अपने बाजुओं के दम पर कभी न हार मान बैठना…।

चुन-चुनकर घसीट करके छिपे दरिंदों को बाहर लाना,
एक-एक रक्त के कतरे का हमें है बदला लेना…।

बहुत हो चुका आतंक का साया अब नही है हमें डरना,
चलो जांबाजों आज हमें मिलकर कसम है निभाना…।

‘उर’ से कफन सिर पर बांधकर लाज भारत की बचानी,
खदेड़-खदेड़ कर घर में घुसकर मिटा डालो पाकिस्तानी…।

कायरता की दे गए निशानी, बुजदिल कर गए नादानी,
समझ उनकी गोबर है चरती, उनकी अकड़ निकालनी…।

हे वीरों भारत माता के, माता आँचल का प्यार लुटाती,
ममता के आँचल के साए तुम्हारी माँ रक्षक है बनती…।

करारा जबाव अब हमें है देना, पूरा भारत है पुकारता,
लहू का बदला लहू से लेना अब किसी को भी न बख्शना…।

सुहागनें और माता-बहनें तुम्हारी रक्षा की दुआ करती,
भारत के वीर पुत्र, पति, भाई हो तुमको लाखों दुआएं देती…॥