सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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अष्टम दुर्गा महागौरी माता परम पुनीता,
दिव्य त्रिपुरसुंदरी राजराजेश्वरी ललिता
त्रिशूल, डमरू अभय वरमुद्रा चतुर्भुज,
वृषभारूढ़ा, संहारे शुंभ, निशुंभ दनुज।
माँ ने जब शिव प्राप्ति को तपव्रत धारा,
वर्षों वर्ष अन्न-जल तज सहर्ष स्वीकारा
सघन तप अनल से देह हुई मेघ-श्याम,
शिव ने स्वीकारा, दिया देवी गौरी नाम।
तपस्विनी को महागौरी किए शिव अघोरी,
शुभ्र वर्ण शंख, कुंद पुष्प सम चंद्र चकोरी
हिम-शिखर से धवल, गंगाजल से निर्मल,
सदैव अष्टवर्षीय, भव-भय को करें विमल।
पद्मासन पर विराजे, शांत आभा बिखेरें,
अमिट आशीष देकर मन में भक्ति उकेरे
जगजननी, मोक्षदायिनी, शिव की शक्ति,
सकल मनोरथ पूर्ण करें, दें निष्काम भक्ति।
करुणानिधान महामाई सौम्यता की मूर्ति,
अलौकिक सिद्धियाँ दें, करें सुख आपूर्ति।
मातृ पद कमल को ध्याये कृपा दृष्टि पाए,
कष्ट कटे स्वर्गतुल्य सुखी जीवन हो जाए॥