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माँ शैलपुत्री-१

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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हिमवान-मैना के आंगन में,
दिव्य चेतना ने ली अंगड़ाई
नवसृष्टि की प्रथम किरण बन,
सुता शैलपुत्री धरती पर आई।

निहार शिखरों का नीरव तप,
मौन तोड़, पावनता से बोला
प्रकृति के प्रत्येक कण-कण ने,
शिव-शक्ति का रहस्य खोला।

कमल सम पद, नैनों में ज्योति,
वे एक हाथ में त्रिशूल धारिणी
दूजे हाथ में है कमल सा जीवन,
वे जगत की प्रथम भवतारिणी।

नंदी पर विराजे देवी शैलपुत्री,
आनन पर है सौम्यतम आभा
शक्ति की वह आदि स्वरूपा,
जिनसे जन्मती हर एक प्रभा।

नवरात्रि की प्रथम मंगल बेला,
कठोरता में भी है कोमलता।
मां शैलपुत्री का ध्यान करो,
दूर करेगी जीवन से जड़ता॥