डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
*************************************************
माँ भवानी आ गयी है, मुस्कान प्रीत सुख लायी हो,
करुणार्द्र चित्त संवेदन मन, कार्तिकेय मनाने आयी हो।
जवाकुसुम पूजित माँ अम्बे, शरणागति सुत जगदम्बा हो
शशिकला शीतला माँ ललिते, तारकविनाशिनी अम्बा हो।
आश्विन शुक्ल पूजन वन्दन, पंचम स्कंदमाता शक्ति हो,
वैदिक पूजित माँ जगदम्बा, भवानी भक्तों की भक्ति हो।
जय जननी जगतारिणी अम्बे! ममता करुणा सागर जय हो,
स्कन्दमातु दयामयी चतुर्भुजे, शुभदे वरमुद्रा माँ जय हो।
मनमोहक जननी जगतारिणि, कालविलासिनि वैष्णो माँ हो
मनमोहन भव्य मनोरम माँ, स्कन्दमातु शुभांगिनी जय हो।
मातु भवानी गिरिजे सुखदे, बालरूप कार्तिकेय जय हो
रख प्रथम पूत स्कन्ध क्रोड़ में, करकमल पुष्पद्वय शोभित हो।
तेरी लाल चुनरी सितारों, जड़ी माँ शेर विराजित हो
सौख्य विभव यश मोक्षदायिनी, धवला पद्मासन राजित हो।
माँ स्कंदमाता ममतांचल में, दाएँ हाथ स्कंदधारिणी हो
महिषासुरमर्दिनी विष्णु प्रिया, रुद्राणी तारा तारिणी हो।
तुम त्रिविधा शक्ति जगन्माता, तुम क्षमाशील वरदायी हो,
तुम कालचक्र विकराल समर, तुम विजयाज्योति जगायी हो।
तुम परम दयालु जगजननी, सतीनाथ शिवानी माई हो।
बस कृपा अम्ब देशार्थ धर्म खुशी मुस्कान वरदायी हो॥
परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥
