हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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माँ अमृत है तू,
माँ तू खुशियों का समन्दर है
तेरे बिना कुछ नहीं संसार में,
माँ तू ही हमारी प्रेरणा है।
हम बच्चों के लिए तू खुली क़िताब है,
तू शक्ति है, सम्मान है
ममता का वह रूप रंग है,
माँ तू ही हमारी प्रेरणा है।
तू भूखी-प्यासी रहती है,
सब दु:ख सहती है
अपने बच्चों को खुश रखती है,
माँ तू ही हमारी प्रेरणा है।
हमें राह में ठोकरें लगती हैं,
हम गिरते हैं तो आवाज में माँ रहती है।
वह कहीं भी हो, हाथ बच्चों के सिर पर रहता है,
माँ तू ही हमारी प्रेरणा है॥