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मातृभूमि को प्रणाम

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष……..

इंद्रधनुष-सा रंगीला,चाँद सरीखा चमकीला,
यह है हिंदुस्तान,बड़ा पावन है इसका धाम।
मातृभूमि को मेरा प्रणाम,
देश वीरों को मेरा सलाम॥

शस्य श्यामला अपनी धरा बड़ी पावन,
अठखेलियां करतीं नदियां जिसके दामन।
उत्तर में हिमालय इसका सिरमौर है,
दक्षिण में सागर का ओर न छोर है।
शीतल मंद सुगंध पवन,
जहां बहे अविराम।
मातृभूमि को मेरा प्रणाम,
देश वीरों को मेरा सलाम॥

अहिंसा परमो धर्म हमारा नारा है,
‘वसुधैव कुटुंबकम’ विचारधारा है।
कर्म कर फल की चिंता मत कर,
गीता का यह ज्ञान सबसे न्यारा है।
योगगुरु है विश्व गुरु भी,
सर्वत्र है उसका नाम।
मातृभूमि को मेरा प्रणाम,
देश वीरों को मेरा सलाम॥

भिन्न-भिन्न परिधानों में भिन्न-भिन्न हैं टोलियां,
अनेक भाषाएं अपनी और अनेक हैं बोलियां।
घाट-घाट के पानी का अलग-अलग है स्वाद,
समरसता भाईचारे से देश मेरा आबाद।
जियो और जीने दो का,
देते आए हैं पैगाम।
मातृभूमि को मेरा प्रणाम,
देश वीरों को मेरा सलाम॥

मातृभूमि का शीश नहीं हम झुकने देंगे,
मिट जाएंगे उस पर आँच नहीं आने देंगे।
अपना सारा जीवन देश को अर्पण है,
वीरों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
इतना सुंदर देश मेरा,
आरती करूं सुबह-शाम।
मातृभूमि को मेरा प्रणाम,
देश वीरों को मेरा सलाम॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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