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मायूस चेहरे खिल जाएँगे

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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जब तक जागे हैं,
बातें करते रहिए जनाब
न जाने कब,
आँखें बंद हो जाएँ…
और हम पछताते रह जाएँ।

जब नींद आएगी,
इस कदर सोएंगे
कि लोग जगाएंगे बहुत,
मगर हम जाग नहीं पाएँगे
चिरनिद्रा में सो जाएँगे।

बहुत रोएंगे मेरे अपने,
मेरे चाहने वाले
लेकिन हम तो सिर्फ,
ख्यालों में नज़र आएँगे
तस्वीर में जड़ जाएँगे।

ये जीवन अनमोल रत्न है,
हँसी-खुशी बिताइए
पल का पता नहीं है प्यारे,
इंतजार करते-करते
कब अरमान बिखर जाएँगे!

हर शिकवा-शिकायत,
यहीं पर भुला दीजिए
रिश्तों की कड़वाहट भी,
यहीं पर मिटा दीजिए।
यकीन मानिए,
मायूस चेहरे खिल जाएँगे॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।