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मित्र जीवन बदले

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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मित्रता-ज़िंदगी…

जीवन में मित्र हैं अनमोल,
मित्र, रिश्तों को समेटता
सगे रिश्तों से भी अनमोल,
सुख-दुःख में साथ रहता।

मित्र देवदारु तरु छाया,
छल-कपट जरा न सहता
अटूट प्रेम के बीज से पनपता,
निश्छल मन-भाव महकता।

सच्चा हमदर्द हमराह बन,
भीतर मन चक्षु खोलता
निष्पक्ष, निर्भीक निर्णायक बन,
सद्पथ, सत् वचन घोलता।

परमार्थ की राह दिखाता,
अर्जुन;रथवाह बनता
सुदामा-सा भाव जगाता,
विषम स्थिति छाँव बनता।

विभीषण, सुग्रीव, केवट सब,
मित्र बन प्रतिमान गढ़ते
युगों-युगों से मैत्री-अदब,
अनगिनत किस्से, शब्द कहते।

शान्ति, स्नेह पाठ पढ़ाता,
धूप-छाँव समान रहता
रक्षार्थ कृत संकल्प रहता,
निष्ठा से निर्वहन करता।

वर्तमान, मायने बदले,
पसंद, टिप्पणी तक ही
‘सोशल मीडिया’ में बदले,
‘मित्र’ शब्द रह चलाऊ ही।

तलवे चाट, स्वार्थी लगते,
अजब-गजब रंग-बदले ?
ख़ामोश, औपचारिक न हो,
‘मित्र-सह-ज़िन्दगी’ बदले।

मित्र-मित्रता दिल से निभाएं,
परख-परख निचोड़ें क्यों ?
सद्गति, सच्चरित्र, सन्मति निभाएं,
हद, बंध तोड़ें ही क्यों… ?

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।