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मुझे बढ़ने दो

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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‘अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस’ विशेष (२२ सितम्बर)…

मिलेगी सफल मंज़िल, मुझे उड़ने दो,
बनूंगी कुछ एक दिन, थोड़ा चलने दो।

मेरा अनमोल बचपन न छीनो यूँ तुम,
अधिकार है मेरा भी, खूब पढ़ने दो।

बेटी को भी हक है कुछ बनने का,
भविष्य है सपनों का, जरा गढ़ने दो।

है एक सुनहरी दुनिया मेरे लिए भी,
समय बदल रहा, सोंच बदलने दो।

बेटियाँ गौरव, साहस, अभिमान भी,
जरा खुद की नई दुनिया लिखने दो।

देवी का रूप है बेटी, सदा पूजो,
मुझे भी किसी की दुआ बनने दो।

कर रहा आसमां भी मेरा इंतजार,
किसी ग्रंथ की वाणी-सा निखरने दो।

नाम चमकेगा, मान तो आपको भी मिलेगा,
संकीर्णता छोड़ दो, जरा लड़ने दो।

बेटी भी बेटे से कम नहीं, समझो वरदान,
मत खींचो पाँव, मुझे पहाड़ चढ़ने दो।

लड़की होने में मेरी क्या खता ?
हूँ रोशनी, ख़ुशी भी, थोड़ा बढ़ने दो॥