डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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क्या सबसे अच्छी दोस्त…? (‘विश्व पुस्तक दिवस’ विशेष)…
पुस्तकों तुम इतिहास हो,
पुस्तकों तुम वर्तमान हो
पुस्तकों तुम भविष्य हो,
पुस्तकों तुम अच्छी दोस्त हो
पुस्तकों तुममें सजे हुए हैं,
अनगिनत शब्दों के भंडार।
आदिकाल की सत्यता हो,
आदिकाल की लय-छंद हो
आदिकाल की हो कहानियाँ,
पुरातन का विज्ञान हो
बीते कल का सम्मान हो।
मानव भावों की स्थितियाँ,
जीवन की परिस्थितियाँ
पुस्तकें हो पांडुलिपियाँ,
भूत-वर्तमान-भविष्य हो
पुस्तकें तुम हो गीता का ज्ञान,
जीवन का मार्गदर्शन।
पुस्तकें कहती हो कहानियाँ,
पुस्तकों तुम सजाती हो मंच
सजाती हो नाटकों के पात्र,
जीवंत करती हो भूमिकाएं
शब्दों की छनकती झंकार हो,
विश्व के हर क्षोर में संकलित
पुस्तकों, तुम देती हो सीख,
पुस्तकों तुम देती हो बहुत कुछ।
सजी हुई तुम पुस्तकों,
स्मृतियों का भंडार बनी
कल्पनाओं का निखार लिए,
विज्ञान की नींव हो
आविष्कारों की राह हो।
संघर्षों के वे कदम,
जीत का वो उपवन
संस्कृति की समझ हो,
खोलती हो जन के चक्षु
त्रिनेत्र का विस्तार-सी।
तुम हो प्यारी पुस्तकें,
तुममें मैं गोता लगाती हूँ
स्पर्श कर कहती हूँ,-
आओ गुनगुनाऊं तुम्हें
हृदय में सजाऊं वो गीत-छंद,
तुममें सजे हुए अनेक बंद।
पुस्तकों तुम निभाती हो दोस्ती,
चुपचाप बातें करती सबसे
जब तुम्हें पाठक छूते हैं,
तुम उत्साह दर्शाती हो।
पुस्तकें हो सबसे अच्छी दोस्त,
लेती हूँ अपने हाथों में
किसी कोने में शांत बैठ,
शांतिपूर्ण तुम्हें संग लिए
पन्ने पलटती गुनती समझती हूँ,
तुम्हें पढ़ती, तुमसे बातें करती
बहुत कुछ सीखती हूँ तुमसे।
बहुत कुछ है जानना,
और बहुत कुछ बाँटना
तुमसे तालमेल बढ़ाती हूँ,
पुस्तक तुम हो
सबसे अच्छी दोस्त मेरी,
सजी रहो पुस्तकालयों में
घर की अलमारियों में,
तुमको देख-पढ़ कर।
बनता है सुंदर विश्व खास,
मन में जगता अद्भुत विश्वास॥
परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है