दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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बस यही मेरी आरज़ू है,
यही है मेरी प्रार्थना
अमन-चैन हो देश में मेरे,
सदभाव की हो भावना।
हरी-भरी हो धरती अपनी,
चेहरे पर सबके मुस्कान रहे
लहर-लहर लहराए तिरंगा,
मान देश का सदा बढ़े।
दीवार न हो जाति-पाति की,
बैर-भाव का नाम न हो
अनेकता में एकता का,
मेरा देश मिसाल बने।
गीत शांति के गाएं पर,
कभी न हम कमजोर पड़ें
फौजी-सा साहस दिखलाएं,
गर बात देश की आन पड़े।
तरक्की का परचम लहराए,
देश तरक्की करता जाए।
फिज़ा में गूंजे ‘वन्दे मातरम’,
जय हिंद से गूंजे आसमां॥