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मेरी खुशियाँ मेरे पिता

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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उनकी साँसों से मेरी खुशियाँ (पिता दिवस विशेष)…

मेरे पिता दिल के बड़े अमीर हैं,
जो कहते हैं करके दिखाते हैं
चाहे कितनी भी आ जाए तकलीफ,
वो बिल्कुल भी नहीं घबराते हैं।

उनकी साँसों में मेरी साँसें समाईं हैं,
उनके बिना हर पल तन्हाई है
सुकून मिलता है उनके चरणों में,
वो बरगद की सी परछाई है।

मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं,
न जाने कहाँ से इतनी हिम्मत लाते हैं
माँ छुप-छुप कर रोती है ग़रीबी देखकर,
मगर पिताजी, माँ को भी सम्हालते हैं।

पिता सच में डूंगर की सी ओट है,
नहीं समझने वालों में ही खोट है,
पिता है तो सारा जहान अपना है,
पिता की छत्र-छाया में नोट ही नोट है।

पिता को कभी आँख मत दिखाना,
क्योंकि पिता जीवन की परछाई है।
उनकी साँसों में हमारी खुशियाँ है,
सच में जीवन की यही सच्चाई है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।