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मेरे पापा

सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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उनकी साँसों से मेरी खुशियाँ (पिता दिवस विशेष)…

मेरे पापा-सा कोई मिला जहाँ में नहीं,
मेरे पापा की हस्ती-सा यहाँ कोई नहीं
जहाँ पहुँच जाते रौनक़ आ जाती थी,
लोगों के चेहरे पर ख़ुशी छा जाती थी।

ऐसा माहौल बना देते कि क्या बताएँ,
लोग वाह-वाह करते लेते थे बलाएँ
किसी को मदद करने को हमेशा तैयार,
कभी नहीं सोचा पहले अपना परिवार।

पर वो कहते हैं न कि जो इस जहाँ में प्यारे,
भगवान भी बुला लेते हैं उन्हें साँझ-सकारे
ले गए हम सबसे छीन कर देखते रहे हम,
व्यर्थ बचाने की कोशिश कुछ न कर पाए हम।

जब बहुत ज़रूरत थी आप नहीं थे साथ,
माँ ने अकेले ही हम सबका पकड़ा हाथ।
बस दिल में यादें बसाए जी रहे हैं आपकी,
पापा मेरे बहुत याद आती है आपकी॥