लालचन्द्र यादव
आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश)
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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……………
मैं पंछी हूँ,मैं जंगल की रानी हूँ,
पेड़,लताएं,कुंजों की दीवानी हूँ।
तुम दरख़्त को काट-काट ले जाते हो,
तेरे ही कदमों से मिटी कहानी हूँ।
अपना रोटी,कपड़ा तुमको याद रहा।
मैं बेघर फिरती जैसे दीवानी हूँ।
पहले मेरा घर होता था,कुंजों में,
आज नहीं,मैं तेरी ही नादानी हूँ।
गड्ढे,कुएं या तलाब सब गायब हैं,
इसी लिए मैं,मर जाती बिन पानी हूँ।
पॉलिथीन बनाकर तुमने खूब किया,
मैं तेरे कदमों की अमिट निशानी हूँ।
हरे-भरे पेड़ों में मैं छुप जाती थी,
ऊंचे कंगूरों से मैं अनजानी हूँll
परिचय-लालचन्द्र यादव का साहित्यिक उपनाम-चन्दन है। जन्म तारीख ५ अगस्त १९८४ और जन्म स्थान-ग्राम-शाहपुर है। फिलहाल उत्तरप्रदेश के फरीदपुर बरेली में रहते हैं, जबकि स्थाई पता जिला आम्बेडकर नगर है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक(बरेली)का है। इनकी लेखन विधा-गीत,गजल,मुक्त कविता आदि है। रचना प्रकाशन विविध पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को दिशा देना है। आपके प्रेरणा पुंज-गुरु शायर अनवर जलालपुरी हैं। एम.ए. (हिंदी) बी.एड. शिक्षित श्री यादव को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। रुचि-कविता लेखन,गीत गाना है।