दीप्ति खरे
मंडला (मध्यप्रदेश)
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मौन एक योग है,
मौन है आराधना
मौन में ही शक्ति है,
मौन आत्मसाधना।
मौन जो न पढ़ सके,
ज्ञान उसका व्यर्थ है
शब्द जो न कह सकें,
वहाँ मौन समर्थ है।
शब्द चंचल हैं बहुत,
मौन धीर है, गंभीर है
शब्द सीमित हैं मगर,
मौन तो अनंत है।
शब्द अगर आसक्ति है,
तो मौन विरक्ति भाव है।
शब्द जिससे टकराकर ध्वस्त हों,
मौन वो चट्टान है॥